लागतार प्रयत्नों और मांगों के बाद आखिर अब केदारनाथ धाम को प्लास्टिक फ्री बनाने की पूरी योजना हो चुकी है। जिसकी तैयारी सरकार ने अब शुरू कर दी है। केदरनाथ धाम में पहले से प्लास्टिक और उससे फैलने वाले कचरे को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं लेकिन अब प्लास्टिक की बोतलों से छुटकारा पाने के लिए आने जाने वाले श्रद्धालुओं को तांबे की बोतलें उपलब्ध होंगी। हालांकि अभी इन बोतलों की लागत तय नहीं हुई जो की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा तय की जाएगी। तांबे की बोतलों का निर्माण कार्य अल्मोड़ा और बागेश्वर में किया जाएगा।
जून 2013 की आपदा में केदार नगरी के तबाह होने के बाद केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण किया गया था। पुनर्निर्माण का प्रथम चरण पूरा हो चुका है वहीं द्वितीय चरण का कार्य फिलहाल जारी है जिसमें अब आगे के विकास को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक की जगह तांबे का प्रयोग सराहनीय होगा। आपदा के बाद से पुनर्निर्माण कार्य के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है।
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ऐसे में अब केदारनाथ धाम को पूरी तरह से प्लास्टिक फ्री बनाने की मुहिम तय की गई है ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान और ज्यादा केंद्रित जो सके। सरकार के इस बड़े कदम के साथ ही श्रद्धालुओं को भी केदारनाथ धाम के प्लास्टिक फ्री अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए।
यहां के सचिव पर्यटन ने बताया कि श्रद्धालु पीने के पानी के साथ यहां की पवित्र मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के संगम से पवित्र जल को ले जाने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का प्रयोग करते हैं। इसलिए प्लास्टिक की बोतलों से निजात पाने के लिए तांबे की बोतलों को महत्व देना होगा। आगे उन्होंने बताया कि कोशिश ये रहेगी की तांबे की बोतलों को कम से कम दर पर उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश रहेगी।
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