हरियाणा: वैसे तो दुनिया में हर दिन नए और अजीब चीजें हमेशा घटती रहती हैं। ऐसी अजीब घटनाएं कभी कभी हंसी का वाक्या भी बन जाता है। ऐसी ही कहानी मैं आपको आज बताऊंगा जब 67 साल पहले का 28 रुपए का कर्जा चुकाने एक नौसेना बहादुरी पुरुष्कार से सम्मानित रह चुके कॉमोडोर अमेरिका से भारत के हरियाणा राज्य चले आए। दरअसल नौसेना के बहादुर कॉमोडोर बीएस उप्पल जिनकी उम्र 85 वर्ष है जो अब नौसेना से रिटायर्ड हो चुके हैं, 1954 में वे हिसार में रहते थे।
बीएस उप्पल हिसार के हरजीराम हिंदू हाई स्कूल में पढ़ते थे और दसवीं पास वहीं से किया था। पास में एक हलवाई शंभूदयाल बंसल रहते थे। जहां से बीएस उप्पल लस्सी में पेड़े डालकर पीते थे। एक दिन बीएस उप्पल के पास पैंसे नहीं थे तो उन्होंने शंभूदयाल बंसल हलवाई से 28 रुपए की उधारी कर ली। लेकिन बीएस उप्पल को अचानक किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा, उसके बाद उन्हें हिसार आने का मौका नहीं मिला और वे नौसेना में भर्ती हो गए।
बीएस उप्पल ने बताया कि नौसेना में अपनी सेवा पूरी करने के बाद वे अपने बेटे के साथ अमेरिका चले गए। उन्होंने बताया कि उन्हें हिसार की हमेशा दो बातें याद आती थी, एक तो जिस स्कूल से उन्होंने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और दूसरा उधारी के वे 28 रुपए। अब शंभूदयाल बंसल हलवाई तो इस दुनिया से चल बसे तो उनका पौता विनय बंसल उनके कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने विनय को सारी कहानी बताई कि कैंसे वे उनकी दुकान पर से लस्सी में पेड़े डालकर पिया करते थे। जिसमें से उधारी के 28 रुपए उन्हें चुकाने थे।
बीएस उप्पल ने आगे बताया कि वे अमेरिका से हिसार 28 रुपए उधार और जहां से उन्होंने दसवीं पास की थी उस स्कूल को देखने आए हैं। बीएस उप्पल समुद्री जहाजों के कॉमोडोर थे, जब पाकिस्तान के जहाज को डुबोया गया था तो उस जहाज पर कॉमोडोर बीएस उप्पल ही थे। जिसके लिए उन्हें नौसेना बहादुरी के पुरुष्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने विनय बंसल को दस हजार रुपए देते हुए कहा कि मेरे सर पर आपकी दुकान का कर्जा था जिसके लिए विशेष मैं अमेरिका से यहां आया हूं, तब के समय से अब तक वह धनराशि इतनी तो हो गई होगी।