सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) - जानिए कौन थे पर्यावरण गांधी।

Suraj Rana
By -
0

सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna)
Sunder Lal Bahuguna












सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna)



अगर कभी पर्यावरण को बचाने और प्रकृति के प्रति अति प्रेम भावना रखने वालों की बात होगी तो उसमें सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) जी का नाम हमेशा लिया जायेगा। जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रकृति की देखभाल और उसे बचाने में लगा दिया था। सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) भारत के महान पर्यावरण संरक्षक और चिपको आन्दोलन (Chipko Aandolan) के प्रमुख प्रेणता थे। अपने जीवन में उन्होंने कई बार वनों के सरक्षण के लिए संघर्ष किया। चिपको आंदोलन के बाद उन्होंने टिहरी बांध (Tehri Dam) निर्माण के विरुद्ध आंदोलन भी किया।

परिचय

सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) जी का जन्म उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल के मरोड़ा नामक गांव में 9 जनवरी 1927 को हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गांव से प्राप्त की जिसके बाद वे बी ए करने लाहौर चले गए। सन 1949 में वे मीराबेन और ठक्कर बप्पा से मिले। और उनके साथ मिलकर दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान में जुट गए। तीनों ने मिलकर छात्रों के लिए ठक्कर बप्पा होस्टल की स्थापना भी की। मंदिर में दलितों के प्रवेश कराने के लिए उन्होंने आंदोलन भी छेड़ा।

प्रकृति प्रेमी थे सुंदर लाल बहुगुणा (Sunder Lal Bahuguna)

सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna)

सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) जी की पत्नी भी उनके आंदोलन में सहयोग देती थी। उनकी पत्नी का नाम श्रीमती विमला नौटियाल (Vimla Nautiyal) था। अपनी पत्नी के सहयोग से सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) ने सिलयारा में पर्वतीय नवजीवन मण्डल की स्थापना की। 1971 में शराब की दुकानों को खोलने के विरुद्ध सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) ने 16 दिनों तक अनशन किया। जिसके बाद चिपको आंदोलन के बाद से उन्हें विश्वभर के लोग वृक्ष मित्र के नाम से बुलाने लगे। 

सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) ने चिपको आंदोलन के लिए घोष कविता दी -

क्या है जंगल के पानी, मिट्टी, उपकार और बयार।
पानी, मिट्टी और बयार, जिंदा रहना के हैं आधार।

सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) की लोगों से एक ही अपेक्षा थी कि पेड़ काटने से ज्यादा पेड़ लगाना अति महत्वपूर्ण है। उनके प्रकृति के प्रति प्रेम देखकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ़ नेचर नामक संस्था ने प्रभावित होकर 1980 में इन्हें पुरुष्कृत किया। इसके अलावा सुंदर लाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) को 1984 में राष्ट्रीय एकता पुरस्कार और 1985 में वृक्ष मानव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पर्यावरण के प्रति उनके अति प्रेम के कारण उन्हें पर्यावरण गांधी के नाम से जानते थे। 21 मई 2021 को 94 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।







एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)