| Jaswant Singh Rawat |
जसवंत सिंह रावत (Jaswant Singh Rawat)
वो कहते हैं ना अगर कुछ कर गुजरने का जुनून सर पर हो तो दुनिया की कोई भी बड़ी ताकत आपका रास्ता नहीं रोक सकती। ऐसे ही देश के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून राइफल मैन जसवंत सिंह रावत (Rifle Man Jaswant Singh Rawat) के सर पर था। 72 घंटे तक चीनी सैनिकों से अकेले लड़ते रहे और 300 चीनीयों को अकेले ही मार गिराया।देशभक्ति की ऐसी मिसाल शायद ही कोई दे सकता है। जसवंत सिंह रावत जी (Jaswant Singh Rawat) का जन्म पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) के एक छोटे से गांव बांडियू में 19 अगस्त 1941 में हुआ था। बचपन से ही जसवंत सिंह रावत कई साहसिक कार्यों में निपूर्ण थे। इसी कारण उन्हें सेना में भर्ती होने का जुनून जागा, और 19 अगस्त 1960 को गढ़वाल राइफल्स (Garhwal Rifles) की ओर से सेना में भर्ती हो गए।
एक साल की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सितंबर 1961 में जसवंत सिंह रावत (Jaswant Singh Rawat) को अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा पर तैनाती के लिए भेजा गया। 17 नवंबर 1962 को चौथी बटालियन की यूनिट को नूरानांग ब्रिज की रक्षा के लिए तैनाती पर भेजा। भारतीय सैनिक वहां पहुंचते कि इससे पहले चीनी सैनिकों ने उस जगह पर अपना कब्जा जमा लिया था।
जिसे देख जसवंत सिंह रावत(Jaswant Singh Rawat) ने अपने दो साथी सैनिकों लांसनायक त्रिलोक व राइफल मैन राइफलमैन गोपाल सिंह के साथ मिलकर चीनी सैनिकों का डटकर सामना किया। लेकिन चीनी सैनिकों ने जसवंत सिंह रावत के दोनों साथियों को मार गिराया और भारत माता की रक्षा करते हुए दोनों जवान शहीद हो गए। इस युद्ध में काफी लोगों की जानें गई, कई सैनिक और बड़े पद के अधिकारी युद्ध में शहीद हो चुके थे। लेकिन इसके बावजूद चौथी बटालियन ने चीनी सैनिकों को रोके रखा और आगे नहीं बढ़ने दिया।
अकेले मार गिराए 300 चीनी सैनिक
जब सारे सैनिक थककर पीछे हट गए और कई घायल हो गए तो जसवंत सिंह रावत (Jaswant Singh Rawat) ने अकेले ही 5 लाइट मशीनगन को अलग अलग पोजिशन पर रख कर दुश्मनों के ऊपर गोलीबारी करना शुरू किया। दुश्मनों को भी एक बार में लगा होगा कि सारे सैनिक अभी जीवित हैं। लेकिन देखते ही देखते 72 घंटे बीत गए और जसवंत सिंह रावत ने 300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।
चीनी सैनिकों को जब पता चला एक अकेले ने उनकी सारी फौज खत्म कर दी तो वो भी भौंचके रह गए। जसवंत सिंह रावत (Jaswant Singh Rawat) की इस वीरता को देख चीनी सैनिकों ने उनके पार्थिव शरीर को सलामी दी और कांसे की एक प्रतिमा उनके लिए सेना को भेंट की। आज भी जब सैनिक उस स्मारक से गुजरते हैं तो जसवंत सिंह रावत को सैल्यूट करने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।
जसवंत सिंह रावत (Jaswant Singh Rawat) को महावीर चक्र से नवाजा गया। 72 घंटे तक अकेले लड़ने वाले और 300 दुश्मनों को मार गिराने वाले वीर जसवंत सिंह रावत आज भी सभी देशवासियों के लिए वीरता की बहुत बड़ी मिसाल हैं, ऐसा देशभक्त आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।