चंद्र सिंह राही ( Chandra Singh Rahi)- ऐसी आवाज जिसे हर कोई सुनना चाहता है

Suraj Rana
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चंद्र सिंह राही ( Chandra Singh Rahi)
Chandra Singh Rahi

चंद्र सिंह राही ( Chandra Singh Rahi)

परिचय

अगर कभी उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ लोक गायक (best folk singer of Uttarakhand) की बात की जाए तो चंद्र सिंह राही (Chandra Singh Rahi) उनमें से एक जरूर होंगे। पहाड़ी लोक के गायक चंद्र सिंह राही जी का जन्म 28 मार्च 1942 को पौड़ी गढ़वाल(Pauri Garhwal) के गिवाली नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री दिलबर सिंह नेगी (Dilbar Singh Negi) और माता का नाम श्रीमती सुंदरा देवी (Sundara Devi) था। 

चंद्र सिंह राही (Chandra Singh Rahi) के परिवार में संगीत का चलन उनके पूर्वजों से चला आ रहा था। इसलिए उन्होंने बचपन से ही संगीत की कोई ट्रेनिंग नहीं ली। अपनी विरासत से मिली संगीत की कला को उन्होंने अच्छे तरीके से इस्तेमाल किया। हालांकि उनका परिवार गरीबी के दिन झेल रहा था। चंद्र सिंह राही का एक और भाई दिवगंत राही (Divgant Rahi) थे। 

दिवगंत राही (Divgant Rahi) जी उत्तराखंड के बहुत बड़े संगीतज्ञ थे जिन्हें सारे लोकवाद्य यंत्रों को बजाने में महारत हासिल थी। चंद्र सिंह राही (Chandra Singh Rahi) ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता दिलबर सिंह नेगी से ली। उनकी बचपन से सोच थी की वे ऐसे गाने बनाना चाहते हैं जिन्हें सुनकर उत्तराखंड के लोग उन्हें हमेशा याद रखें, और वे ऐसा करने में सफल भी रहे। धीरे धीरे वे अपने समय के नामी साहित्यकारों और कलाकारों के साथ काम करने लगे। 

उन्होंने गीत लिखने और गाने शुरू किए, ऐसा प्रतीत होता था कि उनके पास लोकगीतों का खजाना है। लोकवाधों को बजाने जैंसे - डौर, हुड़की, ढोल, दमाऊं और शीनो को बजाने में वे कुशल थे। चंद्र सिंह राही (Chandra Singh Rahi) पहाड़ी लोक गायकों की एक ऐसी आवाज बन चुके थे, उनके सामने कोई भी संगीतकार नहीं टिक पाता था। उनकी आवाज से उत्तराखंड के कण कण के बारे में पता चलता था।

करियर

चंद्र सिंह राही ( Chandra Singh Rahi)

पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) में तो चंद्र सिंह राही ( Chandra Singh Rahi) संगीत की कला में कुशल हो गए थे जिसके बाद वे दिल्ली चले गए। दिल्ली में उन्होंने बड़े बड़े सांस्कृतीय कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्हें अब खास तौर पर अतिथि के रूप में बुलाया जाने लगा। इसके बाद उन्होंने कई गढ़वाली फिल्मों (Garhwali Film) में भी काम किया। कई छोटी छोटी फिल्मों में काम करने के बाद आखिर उन्हें एक बड़ा काम मिला, उन्हें दूरदर्शन के लिए फिल्में बनाने का मौका दिया गया। दूरदर्शन के बाद उन्होंने आकाशवाणी के लिए भी काम किया।

चंद्र सिंह राही और उत्तराखण्ड (Chandra Singh Rahi and Uttarakhand)

चंद्र सिंह राही (Chandra Singh Rahi) ने हमेशा गरीब, मजदूर और शोषित लोगों के हितों में सोचने का काम किया। उनके मुताबिक उनका पूरा जीवन उत्तराखंड के लिए समर्पित था, और वे रहे भी। उत्तराखंड के पहाड़ों के बारे में जो उनके गले से मधुर सुर सुनाई देते थे उनको भूलना आज के समय में भी मुश्किल है। चंद्र सिंह राही अपने सुरों को गाते हुए कई बार डूब जाते थे और ऊंचे ऊंचे पहाड़ों का आनंद लेते थे।

10 जनवरी 2016 को 74 साल की उम्र में चंद्र सिंह राही (Chandra Singh Rahi) ने दुनिया को अलविदा कह दिया। और साथ में लोकविद्या (folklore) का युग अपने साथ ले गए। उनके बाद शायद ही कोई ऐसे गाने उत्तराखण्ड को दे पाए। चंद्र सिंह राही जी आज भी उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ लोक गायक (best folk singer of Uttarakhand) के रूप में लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

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