ऋषिकेष: भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय पैराओलिंपिक बैडमिंटन में शानदार प्रदर्शन करने वाली खिलाड़ी और तीलू रौतेली पुरस्कार से नवाजी गई नीरजा गोयल सड़क पर प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। उनके शानदार प्रदर्शन के वावजूद उनके आगे के खेल में भविष्य को लेकर उन्हें प्रैक्टिस के लिए कोच भी उपलब्ध नहीं करवाया गया।
नीरजा गोयल और ऋषिकेष के अन्य पैरालंपिक खिलाड़ी पिछले चार सालों से सरकार से वुडन फ्लोर इनडोर स्टेडियम और कोच उपलब्ध करवाने की मांग लगातार कर रही हैं, लेकिन जिस प्रकार से सरकार उन्हें अनदेखा कर रही है उसके चलते इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन और भारत के लिए पैरालंपिक में पदक जीतने की उम्मीदें लगातार कम होती जा रही हैं।
पिछले कुछ समय से उत्तराखंड सरकार का खेल रुचि बढ़ान और प्रदेश में छुपी प्रतिभाओं को सामने लाने की नीति अपनाई जा रही है। लेकिन सरकार के कहने और करने में नीरजा गोयल जैंसी खिलाड़ियों की स्तिथि देख साफ अंतर देखा जा सकता है। ऋषिकेष में लगभग 15 पैरालंपिक खिलाड़ी हैं। नई प्रतिभाओं को निखारने में सरकार का ये प्रयास वाकई शर्मनाक है। जिस प्रकार से नीरजा गोयल जैंसी प्रतिभावान खिलाड़ी को सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई जा रही सरकार के लिए ये एक सोचनीय विषय है।
नीरजा गोयल अब तक भारत के लिए शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत और कांस्य पदक उत्तराखंड के लिए जीतने में सफल रही हैं। जबकि राज्य स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में वे कई बार स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रही। बात करें तो केवल नीरजा गोयल को प्रतिभा को नहीं दबाया जा रहा बल्कि उनकी जैसी अन्य प्रतिभाएं अच्छी सुविधाएं उपलब्ध ना होने की वजह से लगातार दब रही हैं।
पैरालंपिक खिलाड़ियों को खेल में सुधार के लिए वुडन फ्लोर के स्टेडियम की आवश्यकता होती है, लेकिन वुडन फ्लोर तो बहुत दूर की बात है खेल विभाग इन खिलाड़ियों को कोच तक नहीं दे पा रहे हैं। नीरजा गोयल ने बताया कि उन्होंने कई बार सरकार से वुडन फ्लोर स्टेडियम पर कोच को लेकर मांग की है। आज से लगभग तीन महीने पहले नीरजा गोयल ने नए सीएम पुष्कर सिंह धामी जी को इस बारे में पत्र लिखा था लेकिन अफसोस उनका इस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। जिस वजह से वे सड़क पर ही अपने खेल को सुधार करने में प्रयत्न कर रही हैं।