उत्तराखंड का इतिहास (History of Uttarakhand)
क्या आप उत्तराखंड का इतिहास (History of Uttarakhand) जानना चाहते हैं? उत्तराखंड के नाम का उल्लेख प्रारंभिक हिंदू ग्रंथो में मिलता है जिसका शाब्दिक अर्थ उत्तरी भू भाग का रूपांतर करना है। उत्तराखंड को भी दो खंडों में बांटा गया है। जहां गड़वाल मंडल को केदारखंड और कुमाऊं मंडल को मानसखंड के नाम से जाना जाता है। अत्यधिक देवशक्तियों और धर्मस्थलों के स्तिथ होने की वजह से उत्तराखंड को देवभूमि उत्तराखंड (devbhoomi uttarakhand) के नाम से भी जानते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है "देवताओं की भूमि"।
उत्तराखंड में पारव, कुषाण, गुप्त, कत्यूरी, पाल, चंद, पंवार के राजवंशों और अंग्रेजों ने बारी बारी से शासन किया है। उत्तराखंड राज्य जिसे पहले उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था, भारत के उत्तरी हिस्से उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा था। देवभूमि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में हिंदू मंदिर और तीर्थ स्थल मौजूद हैं। देवभूमि उत्तराखंड हिमालय, भाभर और तेराई के प्राकृतिक वातावरण के लिए मशहूर है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार उत्तराखंड का इतिहास (history of uttarakhand)
उत्तराखंड का इतिहास (history of uttarakhand) पौराणिक कथाओं में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की गई है। पौराणिक कथाओं में कुर्मांचल, मानसखंड के नाम से प्रसिद्ध हुआ करता था। पौराणिक ग्रंथों में उत्तरी हिमालय में सिद्ध गंधर्व, यक्ष, किन्नर आदि जातियों की सृष्टि का राजा कुबेर रहता था। कुबेर की राजधानी बद्रीनाथ से ऊपर अलकापुरी बताई गई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा कुबेर के आश्रम में ऋषि मुनि तप और साधना करते थे।
वहीं अंग्रेज इतिहासकारों की माने तो हिमालयी क्षेत्र में हूण, शक, नाग, खस, आदि जातियां भी निवास करती थी। पौराणिक ग्रंथों में उत्तराखंड को मानसखंड और केदारखण्ड के नाम से उल्लेख किया गया है। वहीं इसे देवभूमि और तपोभूमि के नाम से भी जानते हैं। उत्तराखंड का इतिहास (history of uttarakhand) इन्हीं नामों से प्रसिद्ध है। मानासखंड का नाम कुमाऊं चंद राजाओं के शासन काल से था कुमाऊं पर चंद राजाओं का शासन कत्यूरो के बाद से 1790 तक रहा।
जिसके बाद 1790 में नेपाल की हिरखा सेना ने चंद राजाओं पर आक्रमण कर कुमाऊं क्षेत्र को अपने कब्जे में कर लिया। कुमाऊं पर गोरखाओं का शासन 1815 तक रहा जिसके बाद अंग्रेजों ने गोरखाओं को परास्थ कर कुमाऊं को ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया। इसके बाद भी गढ़वाल और कुमाऊं को आजाद करने के लिए लड़ाइयां चलती रही। अंततः साल 1947 में भारत अंग्रेजों के कब्जे से आजाद हो गया और उत्तराखंड का कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र भी आजाद हो गए। लेकिन राजाओं का शासन अभी भी यहां था।
उत्तराखंड अभी भी उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा बना हुआ था। उत्तराखंड को उत्तरप्रदेश से अलग करने के लिए हमारे पूर्वजों ने कई लड़ाईयां लड़ी। कई क्रांतिकारी वीर इस लड़ाई में शहीद भी हुए। अंततः 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया, जो कि उत्तर प्रदेश से अलग किया गया और हमारे पूर्वजों द्वारा लड़ी गई लड़ाईयां को फल मिला।
उत्तराखंड राज्य देश का 27 वां राज्य बना। पहले उत्तराखंड का नाम उत्तरांचल से नाम से रखा गया था जिसे 21 दिसंबर 2006 को बदलकर उत्तराखंड कर दिया था। इस प्रकार से उत्तराखंड का इतिहास (history of uttarakhand) दर्शाता है कि कितनी कठनाइयों के बाद हमे देवभूमि उत्तराखंड राज्य प्राप्त हुआ।
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