टिहरी गढ़वाल: टिहरी गढ़वाल डोबरा-चांठी ब्रिज (Tehri Garhwal Dobra Chanti Bridge) हरी-प्रतापनगर के बीच बना हुआ है जो कि यहां रहने वाले लोगों की उम्मीदों पर बना था। इस पूल को बनने में 15 साल से ज्यादा का समय लगा था। और पूर्ण निर्माण के कुछ महीनों बाद ही पूल की दरारें पड़ी तस्वीरें सामने आने से घोटाले की बू आने लगी है।
डोबरा-चांठी पुल देश का सबसे बड़ा सिंगल सस्पेंशन पूल है और इतनी जल्दी इस पूल की मास्टिक पर दरारें पड़ गई हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं है बल्कि इससे पहले भी 2 बार डोबरा-चांठी पुल की मास्टिक पर दरारें पड़ चुकी हैं और उचित लागत पर मरम्मत भी करवाई गई। कुछ ही महीने पहले तीसरी बार डोबरा-चांठी पुल की तीसरी बार मरम्मत करवाई गई थी और कुछ ही महीनों में दरारें पड़नी शुरू हो गई। अब ऐसे में इस काम के कार्यकारी विभाग पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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साल 2020 में डोबरा-चांठी पुल पूर्ण रूप से बनकर तैयार हुआ था और तब से अब तक ये तीसरी बार दरारें पड़ने का मामला सामने आया है। डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज के ऊपर लगातार दरारें पड़ने से आम लोग प्रशासन से गुस्साए हुए हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि पूल के लिए प्रतापनगर के लोगों ने काफी संघर्ष किया है जिसके फलस्वरूप डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज बनाया गया था। डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है वहीं सस्पेंशन ब्रिज की लंबाई 440 मीटर है।
स्थानीय लोगों ने एक बार फिर से मास्टिक की दरारों को भरवाने और उसकी पूर्ण जांच के लिए गुहार लगाई है। बार बार और इतनी जल्दी दरारें पड़ने से साफ इशारा होता है कि पूल ज्यादा नहीं टिक पाएगा और करोड़ों का हुआ काम पानी में मिल सकता है। अगर डोबरा-चांठी पुल के प्रति गंभीरता से कार्य नहीं किया गया तो स्थानीय लोगों की चिंता और बढ़ सकती है। डोबरा-चांठी पुल की इस समस्या का हल सरकार और कार्यकारी अधिकारीयों को एक सटीक योजना बनानी होगी।
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